Romantic Hindi Poems: एन्जॉय टॉप १० हिंदी कवता आज की , पढ़िए और अपनी राय अवशय दीजिये आपको पसंद आयी या नहीं
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Romantic Hindi Poems
जाते जाते पलटकर नही देखना था
उनके सर युही कुछ इल्ज़ाम चले गए
सम्ते सबा जानिबे कु-ऐ-यार थी सो
खत कोरे थे मगर पैगाम चले गए !
कोई पूछे महफिल में हंगामा क्यों हुआ
कहना हम लिए उनका नाम चले गए
होश में था तो कुछ कश्मकश रही
होश के जाते ही सब इल्हाम चले गए
मैकदे पहोचने तक ही कश्मकश रही
साक़ी को देखा तो इल्हाम चले गए
अहले ईमान अब कत्लगाहों में दिखेंगे
आख़िर संसद तो सारे बेईमान चले गए
_ भौमिक
मेरी वफाओ के चर्चे कही सिमटकर रह गए
बहोत दूर तक मेरे नाम की रुसवाई गयी है
अपने दिल की बात कब तुजे मनवाई गयी है
हमसे कब तेरी नाराज़गी उठाई गयीं है
महफ़िल में सुनने वालों के दम निकले
पी कर जो तेरे मैख़ाने से हम निकले ।
कहीं तश्नगी न चली जाए जाम के आते आते
मैं कही तुजे भूल न जाऊ शाम के आते आते
आशिक़ी छोड़ भी दी तो अंदाज़ आशिक़ाना रहेगा
में ना भी रहा तो मेरे बाद मेरा अफसाना रहेगा
अगर किसी रोज़ वादा करके में ना आ सका तो
तू समज लेना कि उस रोज़ मौत से मिलना रहेगा
इतनी सिद्दत से तुझे चाह चुका हु अये पुरकशिश
की तू गयी तो तेरे बाद बस मौत का आना रहेगा
आएंगे मेरे बाद भी तुजपर दिलो जान लुटानेवाले
पर तेरे दिल में ता-उम्र ये सख्स पुराना रहेगा
ऐसी गज़ले लिख छोड़ी है तेरे हुस्न पर मेने
की उन्हें पढ़कर तेरा काईल एक ज़माना रहेगा
Romantic Hindi Poems
ढली जो शाम तो शम्मे उम्मीद-ए-वस्ल की जलने लगी
माहताब के हुस्न की चांदनी हल्का हल्का बिखरने लगी
ऐसे में जो आयी बाम-ए-दतख्त से कोई आवाज़
तो लगा जेसे तू कुंज लबों से सरगम कोई सुनाने लगी
Kuch yuh hm raat bitane lag gaye
Ek cigrette buji ki dusri jalane lag gaye
Kuch pal teri sohbat me kya muskuraye
Hmare piche dard ke zamane lag gaye
Kusur kis ka tha , khafa kis se huye
Haye hm khud hi ko manane lag gaye
Ankho ko aaj barash jana chahiye tha
Par n jane kyu zabt azmane lag gaye
Socha tha tuje bhulane me kam aaye
Fir Nashe me khud ko mitane lag gaye
Dard aesa ki dil ko bhi bejaan kar de
Fir Ro ro kar thake to muskurane lag gaye
Ab ke mijaz me aesi fakiri hai ki tu mile
To mukin hai tuje to gavane lag kays
Mumkin hai Ki tu mile to tuje gawane lag jaye
आसान नही है की हर कोई इसे समज पाए
वो पहेली है जो उलजनो में लिपटकर आती है
तुम्हे देखकर मेने यह कहा था अपने दिल से
ग़ज़ल भी कभी कभी रूप बदलकर आती है
किताबो में मत तलाशकर इस सह को प्यारे
यह अक्सर दिल ही से निकलकर आती है
सियाही मे अश्क़ मिला दे प्यारे फिर देख
मिहब्बत जैसी है अश्को से निखरकर आती है
सिर्फ वफ़ा के वादे किये और बस
वही ऐब है तुझमे जो सरकार में है
पहली मुलाक़ातों में कम समज आती है
अच्छी लड़कियों में अक्सर ये अदा होती है
Romantic Hindi Poems
रंग जाम का तेरी आंखों सा कत्थई हो जाए
इसीलिए पानी में थोड़ी और मिलाकर पीता है
उसका नशा उतरे भी तो कसे तुम ही कहो
शराब के साथ वो सिगरेट भी जलाकर पीता है
दो जाम लगाकर खुली हवामें गुमने जाता है
यहिपर नही रुकता वो फिर आकर पीता है
उसने कब किसीसे छुपाई है आदते अपनी
वो तो जाम भी हकीम को दिखाकर पीता है
shaherwalo itna na itrao apni hoshiyari pe
Tumhe to me hiro ke daam patthar bech du
Tehzib pasand hu so chup hu pr kahi ye n ho
kharidu bhi nhi aur tumhare ghar bech du
Raftar dhire ho to ho apno ke sath chaluga
Me kese manzil ki talab me hmsafar bech du
Ae sitamgar tu meri ankhe to noch sakta hai
Magar yeh nahi mumkin ki me nazar bech du
Meri gazalo ke khariddar hai bazar me bahot
Mere yaar me magar kese teri tasvir bech du
Mera daam se mere watan me khushali aye
Me chahta hu zindgi tuje iss kadar bech du
Uss roz ya ilahi mere nam qyamate likhdena
Jis roz me apna gurur apna zameer bech du
Chadhti hai ankhe tere sharab hai kya
Sharabiyo ka sawal hai jawab hai kya
Apni adato se to karte hai sab touba
Ab Tumhi kaho hm itne kharab hai kya
Batwe me chupaye firte hai tasvire teri
Sab puchte hai Wo itni nayab hai kya
Dekhnewale to par dekhenge ankhe teri
Sab kuch chipaye aesa koi naqab hai kya
Chehre padhnewale diwane ho jate hai
Par kitabe padhnewale kamiyab hai kya
Ek si shakl sabke zahen me kyu hai
Yaar tu kisi muflis ka khawab hai kya
Lagi hai ashiko ki bheed gali me teri
Eid hai par tera chehra mahtab hai kya
Romantic Hindi Poems
कही बरसे अबके बरस वो बारिशे तो मुझे बुला लेना
कही किस गरीब का लुटे घर तो मुझे बुला देना
में एक शायर हु दौलत तो क्या दूंगा
है मगर मगर कुछ वक़्त के लिए दिल बहला शक्ति हु
तुम मुझे बुला लेना
में चाहता हु ग़ज़लें लिखू यह लिखू वो लिखू मगर कुछ लिख नहीं पता
में क्या कृ यह रोज़गार के जमले मुझे चैन से जीने नहीं देते
वक़्त बदल सकता है में या यु कहु की में बदल दूंगा
चीन लूंगा इस वक़्त के हाथो से मेरी तक़दीर ककी लगाम
और फिर चलाऊंगा जिस तरफ मेरा मन लगे बिताऊंगा हंसकर दिन जिस तरह दिन हटे
मुस्किलो में हु तो घबरा जौना क्या
में अकेला तो नहीं अब तनहा हो जाऊ क्या
बात अपनी कृ तो कौन सुने
इसलिए पड़ती है सबकी बात करनी
मुझको, आता है अपनी केहनी उसको आता है उसकी चलनी
मगर बहस क्यों करे गुज़र जायेगे अनमोल जवानी
यह जूते लोग ये फीकी हसी का क्या है
यह बाहड़के हुए मज़हब के नाम पैट क्या है
पागलो की बस्ती है दिलजलों की बस्ती है
यह सच में यार जीवन से मौत सस्ती है
डीएम घुटता है अब तो इस माहौल में दोस्त
कुछ करे उसके हुस्न की बात करे
उदास रात को कुछ और उदास की चादर ओढ़ाई जाए
वीरानी में से कोई वीरानी न खा;ली जय
शाम की बुजी इन पलकों का सहारा कौन है
गुजरती यह ज़िंदगी यह पर हमारा कौंब है
साख से गिरकर फिर लग गए उसकी जड़ पर हम वो रेट है जो दफ़न भी होती नहीं रहकर
क्या करे आरज़ू का तमन्ना ो का क्या करे
अब तो हाल है ऐसा की सबसे पूछते है की इस हाल का क्या करे
मुझको सँभालने की कोशिश में में खुद ही लड़खड़ाओगे
में तो क्या हु तुम भी खाक में मिल जाओगे
हक़्क़ेक़ात ज़िंदगी क्या है क्यों है मिलके सब क्या बात ये समझोगे
किस लिए यह उदासी दमन छोड़ा नहीं जाता
किस लिए कुछ उसके खिलाफ बोलै नहीं जाता
ऐ दिल अगर जुबान रखता है तो बता दे जवाब क्या है
ऐसी तो क्या बात है की तुझसे बोलै नहीं जाता
खता क्या है वफ़ा क्या है ऐ दिल कहा नही जाता
कहते थे बेवफा उसको अब तो वो भी कहा नहीं जाता ‘
इ दिल क्यों तुझ से तेरी हद में रहा नहीं जाता
हर बार खवाब उठा लेता है हर बार दिल बहला लेता हु
क्या कृ में आदमी हु बजनो सा बिन ख्वाइश जिया नहीं जाता
अब तो कहते है ज़ौक़ हम भी तेरे शौक़ क्या हुए
खैर जो भी हुए हम जानते वो मेरे ना हुए